
दिल ये जलाऊँ मैं तो किसके लिये
मरहम लगाऊँ मैं तो किसके लिये
धागे खुले मेरे दिल के सारे
ये दिल सिलवाऊँ मैं तो किसके लिये
सपने सजाऊँ मैं तो किसके लिये
घर बनाऊँ मैं तो किसके लिये
तेरी यादों का ही है बसेरा इस शहर में
इस शहर में आऊँ मैं तो किसके लिये
गीत गुनगुनाऊँ मैं तो किसके लिये
बातें बनाऊँ मैं तो किसके लिये
गहरा डूबा था मैं तेरे इश्क़ के समंदर मे
अब किनारे पे आऊँ मैं तो किसके लिये
आँसू बहाऊँ मैं तो किसके लिये
दर्द छुपाऊँ मैं तो किसके लिये
रह गए अधूरे दिलों के रिश्ते
लौट के आऊँ मैं तो किसके लिये