ठानी है आज कुछ कर गुजरने की
कुछ सपनें और कुछ ख्वाहिशों को पुरा करने की
वक्त का सितम चाहे जो भी हो
नदी से समंदर में मिल फिर मचलने की
ठानी है आज कुछ कर गुजरने की
सूरज सा जलने की
पंछी सा उड़ने की
हवाओं का रूख मोड़ने की
परिस्थितियाँ चट्टान बने तो उनको भी तोड़ने की
ठानी है आज कुछ कर गुजरने की
रातों को जागने की
मंजिल से आगे भागने की
पुरुषार्थ को करने की
हर हार को जीतने की
ठानी है आज कुछ कर गुजरने की
सत्य पे चलने की
सामर्थ्य बनने की
अंधेरे में जलने की
रौशनी सी बढ़ने की
ठानी है आज कुछ कर गुजरने की
भाग्य से लड़ने की
किश्मत को पटकने की
दुःखों पे हँसने की
सुख में भी शून्य रहने की
ठानी है आज कुछ कर गुजरने की
Badhiya
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Mast….lage rahooooo bloggging bhai !!!
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Thank you so much
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Very nice
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Inspiring post..keep the good work up
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Thank you so much …sure!!
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Thank you so much deepti
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