किंकर्त्तव्यविमूढ़ क्यूँ हो तुम
क्या समय अब रूठ गया
क्या भाग्य अब फूट गया
क्या संसार अब छूट गया
क्या दिल अब टूट गया
किंकर्त्तव्यविमूढ़ क्यूँ हो तुम
क्या व्याकुल मन है
क्या व्याकुल तन है
क्या व्याकुल धन है
क्या व्याकुल ये जीवन है
किंकर्त्तव्यविमूढ़ क्यूँ हो तुम
क्या जीवन ने फिर तुमको ठगा
क्या अपनों ने फिर तुमको लुटा
क्या साहस हारा, धैर्य हारा और हारा तुम्हारा परिश्रम भी
किंकर्त्तव्यविमूढ़ क्यूँ हो तुम
क्या कुछ अपनों ने दुनियाँ छोड़ी या
क्या कुछ अपनों ने तुमको दुनियाँ में छोड़ा
क्या कुछ सपने परिस्थितियों की सूली चढ़ गये
क्या कुछ सपनें समय के भेंट चढ़ गये
किंकर्त्तव्यविमूढ़ क्यूँ हो तुम
आशा और निराशा पर्याय हैं यहाँ
जीवन और मरण अटल है यहाँ
सुख और दुःख सबको जीना है
आँसू और ग़म सबको पीना है
किंकर्त्तव्यविमूढ़ क्यूँ हो तुम
मुट्ठी बाँधे आये थे
और हाथ पसारे जाओगे
फिर क्यूँ इतना दुःख, क्यूँ इतना संघर्ष है करना
उम्मीद रखो, विश्वास रखो,
परमात्मा पर आस रखो
कुछ नहीं तो सिर्फ ख़ुद पे विश्वास रखो