ऐ ज़िंदगी
समय की तरह बहूँ क्या तुझमें
हौसलों की तरह उडूँ क्या तुझमें
परिस्थितियों की तरह झुकूँ क्या तुझमें
स्वप्नों की तरह रुकूँ क्या तुझमें
ऐ ज़िंदगी
आँसुओं की तरह टपकूँ क्या तुझमें
नींदों की तरह भटकूँ क्या तुझमें
उल्फ़त की तरह तरसूँ क्या तुझमें
आशिक़ की तरह तड़पूँ क्या तुझमें
ऐ ज़िंदगी
शराबी की तरह बहकूँ क्या तुझमें
खुशियों की तरह चहकूँ क्या तुझमें
गजलों की तरह छलकूँ क्या तुझमें
गीतों की तरह महकूँ क्या तुझमें
ऐ ज़िंदगी
आदत की तरह ढलकूँ क्या तुझमें
फ़ितरत की तरह चलूँ क्या तुझमें
दौलत की तरह चमकूँ क्या तुझमें
सोहरत की तरह धमकूँ क्या तुझमें
ऐ ज़िंदगी
अंगारों की तरह जलूँ क्या तुझमें
सूरज की तरह तपूँ क्या तुझमें
लहरों की तरह उठूँ क्या तुझमें
रास्तों की तरह मिलूँ क्या तुझमें
बेहतरीन रचना। लाजवाब।👌👌
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Thank you so much madhusudan ji
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Bhot khoob 👍
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सुंदर रचना.
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👌👌
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